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Showing posts from 2010
सिमी के राष्ट्रिय सचिव मुनीर के तार छत्तीसगढ़ से जुड़े
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जिस इंद्रेश कुमार को मैं जानता हूं !!
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संजय द्विवेदी कुछ साल पहले की ही तो बात है इंद्रेश कुमार से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मेरी मुलाकात हुयी थी। आरएसएस के उन दिनों वे राष्ट्रीय पदाधिकारी थे। एक अखबार का स्थानीय संपादक होने के नाते मैं उनका इंटरव्यू करने पहुंचा था। अपने बेहद निष्पाप चेहरे और सुंदर व्यक्तित्व से उन्होंने मुझे प्रभावित किया। बाद में मुझे पता चला कि वे मुसलमानों को आरएसएस से जोड़ने के काम में लगे हैं। रायपुर में भी उनके तमाम चाहने वाले अल्पसंख्यक वर्ग में भी मौजूद हैं। उनसे थोड़े ही समय के बाद आरएसएस की प्रतिनिधि सभा में रायपुर में फिर मुलाकात हुयी। वे मुझे पहचान गए। उनकी स्मरण शक्ति पर थोड़ा आश्चर्य भी हुआ कि वे सालों पहले हुयी मुलाकातों और मेरे जैसे साधारण आदमी को भी याद रखते हैं। उसी इंद्रेश कुमार का नाम अजमेर बम धमाकों में पढ़कर मुझे अजीब सा लग रहा है। मुझे याद है कि इंद्रेश जी जैसे लोग ऐसा नहीं कर सकते। किंतु देश की राजनीति को ऐसा लगता है और वे शायद इसके ही शिकार बने हैं। मेरे मन में यह सवाल आज भी कौंध रहा है कि क्या यह आदमी सचमुच बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह
यह ·कैसा राज्योत्सव ???
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यह ·कैसा राज्योत्सव ??? सुन ले मोर गोठ छत्तीसगढ़ राज ल बने दस साल पूरा होने वाला है। आउ समारू अपना सभी संगी साथी ·े साथ मिल·े भी शराब ठे·ादार ·े दू·ान ला छत्तीसगढ़ महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठा·ुर प्यारेलाल सिंह अउ छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन के नेतृत्व ·रता सहित्यकार हरि ठाकुर के प्रतिमा के पास से नहीं हटा पावत हैं। दम नहीं है देवांगन बंधु मन ता·क त दिखाइस तो आजाद चौ·क पुलिस में अपराध ·कायम होगे अब ·कार में तात है। ·हागे हमर छत्तीसगढिय़ा साथी संगी जवान अऊ पहलवान साथी मन हा छुपगे है। छत्तीसगढ़ आजाद फौज,छत्तीसगढ़ टाइगर्स, छत्तीसगढ सेना,छ्त्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा,छत्तीसगढ़ संग्राम परिषद,छत्तीसगढ़ राज्य अंखड धरना चलाने वाला दाउ आनंद कुमार डॉ. उदयभान सिंह चौहान। यह राज्योत्सव छत्तीसगढिय़ा मन के नहीं है। यह तो चोर ठे·केदार,भ्रष्ट अधि·कारी मन ·के है। मोर मन में जो बात रहिस तेन ला मे लिख दे हांव अब देखना है ·की आगे चल·कर · होई,दस साल पहले ए· बार हमन ला ए· होकर छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण बर लड़ाई ·रना पड़े रहीस अब छत्तीसगढ़ ·के अस्मिता बर लड़ाई लडऩा पड़ी। सवाल ए· दारू दूकान के नहीें है। सवाल अ
केंद्री मंत्री की सुपारी छह सौ में
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अमीर धरती गरीब लोग वाले अनिल भैय्या ने कहा था कि कभी सच लिखना हो तो ब्लाग पर लिखो वहीं हम सबके बीच ब्लांग को आज का आंदोलन बताने वाले अवारा बंजारा के संजीत त्रिपाठी की भी यहीं राय रही है कि ब्लांग में समाचार नहीं विचार लिखो चलो अपने निजी लेकिन हजारो लाखो छत्तीसगढ़िया के मन के गोठ याने विचार लिख देता हुं। राय स्थापना दिवस भी आ रहा है। छत्तीसंगढ़ में बेरोजगारी बढ़ गई है यहीं कारण है कि यहां हर कोई सस्ते में आदमी मांगता है। छॉलीवुड के कलाकार से लेकर अखबारो के पन्ने रंगने वाले धांसू कलमकार यहां सस्ते में मिल जाते हैं। हरियाणा हो या राजस्थान सभी को यहां सस्से में मजदूर मिलते हैं। इस लिए जोर से बोलो छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया ,,,, सबसे मजे की बात यह है कि कोचिया (दलाल) भी मौजूद है। कम दर में बात कर बेहतर काम करवाने का दावा करते हैं। खैर फिर भी जय छत्तीसगढ़...जय जौहर ,,,, बहारहाल हम इस गंदगी को बाद में कोसेगें। लेकिन हाल ही में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय (गांधी मैदान)में हुए कालिख कांड की सुपारी की कीमत ने अब यहां के गुंडे बदमाशो की कीमत भी कम कर दी है। जिससे अब क्रांतिकारी किस
किसके कंधों के सहारे भगाए जा रहे हैं नक्सली…एक नजर इधर भी
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बच्चा बच्चा राष्ट्र का,मातृ भूमि के काम का
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टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा का पाकिस्तान प्रेम इस बात की पहचान है कि भारत और उसके धर्म संस्कृति भारतीय परंपरा को खत्म करने का सपना देखने वाले पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश के प्रति मुस्लिम सोच क्या है। लेकिन सिर्फ सानिया मिर्जा जैसे कपूतो के कारण हम अपने भारतीय मुसलमानो को प्रति पूरी तरह नफरत नहीं कर सकते हैं। भारत में सभी मुसलमान इस मानसिकता के नहीं है कि खाओ भारत का गाओ पाकिस्तान का आज भी मुसलमानो के शरीर में 1857 के महान क्रांतिकारी बहादुर शाह जफर और दूसरी बार हुई क्रांति के शहीद अशफाक उल्ला खान जैसे महान देश भक्त मुसलमानो का खून दौड़ रहा है। शिव सेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे की आपत्ति के बाद पूरे देश में भगवा ब्रिगेड ने भी राष्ट्र हित में प्रदर्शन शुरु कर दिया है। सनिया मिर्जा एक राष्ट्रीय खिलाड़ी है। वह देश की शान है। वह अपनेे अम्मी और अब्बू की बेटी नहीं बल्कि पहले वह देश की बेटी है। इसके बाद वह मुस्लिम समाज की बेटी है। इसके बाद वह हैदराबाद की बेटी इन सब के बाद वह अंत में अपने अम्मी और अब्बू की बेटी है। पाकिस्तानी खिलाड़ी से शादी करना कोई गुनाहा नहीं लेकिन जिस देश की सत्ता ने आतंकव
बच्चे नक्सलियों से नहीं मीडिया से डर गए
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नक्सल प्रभावित इलाके से आए बच्चे किसी न किसी पीड़ा से गुरुकुल आश्रम में रह रहे है। इस आश्रम का कार्य उस समय सही ढंग से शुरु हुआ जब तत्कालीन डीजीपी ओपी राठौर ने नक्सली हिंसा में पीड़ित और दहशत में डूबे अनाथ बच्चो को यहां रखवाने में मदद की थी। लगभग तीन साल बाद आश्रम में घटे घटना और स्टींग आपरेशन के बाद हुए विवाद में आश्रम के बच्चो में एक बार फिर चार साल पुराना खौफ छा गया। यह खौफ नक्सलियों का नहीं था। बल्कि उस मीडिया का था। जिनका कैमरा उनके आंसू कैद कर मार्मिक स्टोरी पेश कर उन्हें अपना हथियार बना रहा था। किसी को गिनती में बच्चे कम मिल रहे थे। किसी को भूखे लग रहे थे। किसी को भयभीत लग रहे थे। जबकि हकीकत यह है कि अपनी नौकरी बचने और खबरो की तलाश में भटके मीडिया कर्मी सच से कोसो दूर खड़े नजर आ रहे थे। बच्चो से बिना जाने दंतेवाड़ा में हंगामा हो गया। हिमांशु कुमार को भी चिंता हो गई। एक वरिष्ठ पत्रकार से रहा नहीं गया उन्होंने हिमांशु कुमार से बात कर बच्चे कम होने का बवाल भी खड़ा कर दिया। बच्चा पहले दिन से ही मिडिया को यह कम मिल रहे है। पहले दिन दो बच्चे गायब थे। बाद में समाज कल्याण विभाग ने सभी बच्चे
खान बंधु फिल्मे बनाने से काम नहीं चलेगा
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सैफ अली खान की फिल्म कुर्बान और शाहरूख खान की फिल्म माइ नेम इज खान दोनो ही फिल्मों में मुस्लिम समाज केप्रति विदेशो में पैदा हुए नफरत को बताया गया है। दोनो ही फिल्में तरीफ कबिल है। शाहरूख खान और सैफ अली खान की एक्टिंग दिल को छु लेने वाली है। लेकिन माइ नेम इज खान में शाहरूख खान उर्फ रिजवान खान ने पूरी फिल्म में बड़े ही मार्मिक रोल के साथ कहा है कि माइ नेम इज खान आई एम नाट टेरिरिस्ट मै नहीं हूं आतंकवादी हर खान आतंकवादी नहीं पर आतंकवादी खान है इस बात को हम तभी नकार सकते है जब गलतियो में फतवा जारी करने वाला इस्लाम आतंकवादियों के खिलाफ उनके जेहाद नामक आतंकी आंदोलन के खिलाफ फतवा जारी करने का समय आता है तो चुप बैठ जाता है। ओसम बिन लादेन को खलनायक मानने के बजाए उसे नायक समझा जा रहा है। मुस्लिम समाज खुलकर तलिबान के खिलाफ नारे लगाने से कतराता है। हालांकि मुस्लिमो की राष्ट्रभक्ति पर जरा भी संदेह नहीं किया जा सकता है। लेकिन भारतीय सिनेमा के मुस्लिम कलाकार शाहरूख खान और सैफ अली खान ने अपने दोनो ही फिल्म मेें अमेरिका में हुए आतंकी हमले के बाद आम मुस्लिमो के खिलाफ फैली नफरत को अपने अभिनय के माध्यम से
खाओ भारत का ,गाओ पाकिस्तान का
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वादेमातरम। 13 फरवरी की शाम पुणे में हुए बम धमाको से केन्द्र सरकार और स्वंय को बुद्धिजीवी कहने और खेल भावना वाले शहरुख खान समर्थक जान ले कि पाकिस्तान जैसे आतंकवादी देश के साथ हमदर्दी दिखाने का क्या खम्यिाजा भुगतना पड़ता है। भारत तभी तक धर्मनिरपेक्ष है जब तक यहां हिन्दू बहुसंख्यक है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अपने गीता सार में लिखा था कि दुष्ट व्यक्ति के साथ दुष्टता से ही निपटा जा सकता है। सज्जनता वहां काम नहीं आती। लेकिन शाहरुख खान और उन जैसे खेल भावना वालो को कौन समझाए। देश को आतंकवादी ताकतो के हाथ में सौपने वाले बुद्धिजीवियों से अब डर लगने लगा है। मराठी हदय सम्राट शिव सेना सुप्रीमो बाला सहाब ठाकरे का बयान जैसा भी रहा हो लेकिन शाहरुख खान का बयान भी तरीफ के काबिल नहीं है। खाता भारत की है गाता पाकिस्तान की है। खैर शाहरुख की जिद देश से बड़ी नहीं है। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीयो को भी नफरत दिखानी होगी। नहीं तो सज्जनता इस्लामिक आतंकवाद के सामने टिक नहीं पाएगी। बुद्धि जीवियों और खेल भावना वाले महापुरुषो की बात मानकर देश चले तो पाकिस्तान देश में आतंकवादी घटनाओ को श्रेय देता रहे और हम सिर्फ हिंद
भूमकाल दिवस,नक्सलियों के खिलाफ खुला मोर्चा
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रायपुर बीस साल बाद बस्तर में भूमकाल दिवस पर आदिवासी ग्रामीणों ने नक्सलियों के शोषण और दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ने की घोषणा करते हुए हिंसक माओवादी विचारधारा के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। पिछले महीने स्कूली छात्रो की गला रेतकर की गई हत्या के बाद से ग्रामीणों में नक्सलियों के प्रति घृणा जाग गई है। इसका असर भूमकाल दिवस पर देखने को मिला। ब्रिटिश काल में आदिवासियों ने अंग्रेजी हूकूमत के खिलाफ बिगुल फूकते हुए लड़ाई छेड़ी थी। इस लड़ाई को भूमकाल नाम दिया गया। आजादी के बाद से लगातार 10 फरवरी को बस्तर में भूमकाल दिवस मनाया जाता है। जगदलपुर में मनाए जा रहे भूमकाल दिवस के मौके पर पहली बार आदिवासी समाज ने नक्सलियों के खिलाफ लोकतंत्रिक तरीके से लड़ाई जारी रखने की घोषणा करते हुए शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले शहीद गुंडाधूर,डेवरी धु्रव सहित आजादी की लड़ाई में शहीद हुए अन्य शहीदो को याद किया। इस मौके पर पुलिस विभाग द्वारा लगाए गए नक्सल विरोधी जनजागरण शिविर में आदिवासी जनता ने हिस्सा लिया और भारी संख्या में नक्सल विरोधी पर्चे और पोस्टर का कार्यक्रम स्थल में वितरण किया गया। इस मौके पर एसपी पी सुंदरराज भी ग्राम
अब सीबीआई करेगी बाबूलाल से पूछताछ
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। रायपुर आयकर छापे के बाद कृषि सचिव बाबूलाल अग्रवाल और उनके पीए सुनील अग्रवाल द्वारा बयान बदला गया। आयकर अफसरो को जांच में मदद नहीं किए जाने और राष्ट्रीयकृत बैंक अफसरो के साथ मिली भगत कर किए गए करोड़ो रुपए के निवेश के मामले में आयकर विभाग ने यह प्रकरण बुधवार की शाम सीबीआई को सौप दिया। अब इस मामले में जांच का नेतृत्व सीबीआई करेगी। आयकर विभाग भोपाल के महानिदेशक (अन्वेषण) बृजेश गुप्ता ने बताया कि बुधवार को दिनभर बैक आंफ बड़ौदा में आयकर अफसरो द्वारा जांच पड़ताल की गई है। यहां के लाकर्स से 15 लाख रुपए नगद बरामद हुए है। यह लाकर्स पहले कृषि सचिव बाबूलाल अग्रवाल के नाम पर था। वर्तमान में इसे उनके भाई पवन अग्रवाल के नाम पर कर दिया गया है। आईएएस अफसर द्वारा किए गए कर चोरी के मामले में राष्ट्रीय कृत बैंक के अफसरो की भी मिली भगत का मामला सामने आ रहा है। इसे देखते हुए मामला सीबीआई को सौप दिया गया है। अब इस मामले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो,आयकर इन्वेस्टीगेशन सेल सहित सीबीआई जैसे देश की सर्वोच्च जांच एजेसीं भी जांच पड़ताल और आईएएस अफसर बाबूलाला अग्रवाल से पूछताछ करेगी। इस मामले में सीए सुनील अ
बाबूलाल ने ग्रामीणों को banaya karorpati
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रायपुर आईएएस अफसर बाबूलाल से भी ज्यादा चालक उनका सीए निकला जिसने अपने गांव के ग्रामीणों को इंकमटैक्स फाइल बनाने के नाम पर औपचारिकता पूरी करवाई और उनके नाम से बैंक में फर्जी खाते खोलकर अफसर के ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में तब्दील कर दिया। आयकर अफसरो द्वारा फर्जी पासबुक की में दर्ज नाम के आधार पर खरोरा में शिविर लगाकर करोड़पति ग्रामीणों का साक्षत्कार लेना पड़ा तब जाकर खेत में काम कर रहे ग्रामीणों को पता चला कि वह करोड़पति हैं। उनके नाम से एक बड़ा उद्योग समूह चल रहा है। जिसमें वह ज्वाइंट डायरेक्टर हैं। कृषि सचिव बाबूलाल अग्रवाल के सात ठिकानो में छापेमार कार्रवाई करने वाले आयकर अफसरो को जब सीए सुनील अग्रवाल के निवास और दफ्तर से ढेरो ऐसे दस्तावेज और बैंक पासबुक मिले जिसमें से 40 करोड़ रुपए इधर से उधर हुए थे। इसके आधार पर आयकर अधिकारियों का एक तीस सदस्यी दल दो शुक्रवार से खरोरा में डेरा डाले हुए था। लगभग 28 बैंक खातो के आधार पर खरोरा में पुलिस और कोटवार के मदद से पुकार लगाई गई,तो इसमें से अधिकांश करोड़पति की हैसियत रखने वाले अग्रवाल एंड कंपनी के साझेदार ज्वाइंट डायरेक्टर खेतो में काम करते नजर आए। आय
छत्तीसगढ़ में बाबूलाल जैसे अफसर रहेगे तो नक्सलवाद तो पैदा होते रहेगा
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छात्र राजनीति में पत्रकारिता में और कड़वा बोलने वाले रिश्ते से मेरे बड़े भाई लगने वाले अनिल पुसदकर की प्रेरणा से पहली बार अपने विचार ब्लाग में लिख रहा हूं ऐसे पिछले एक साल से में सिर्फ मै नक्सलवाद के खिलाफ समाचार ही लिख रहा हुं। पिछले दिनो अनिल भैय्या ने ब्लाग लिखने वालो से अपील की थी कि वह अपने विचार के साथ साथ अपने आसपास की घटनाओ का समाचार भी लिखे लेकिन यह मेरे ऊपर लागू नहीं होता था क्योकी मै तो पहले से ही समाचार लिखता था। लेकिन अब भैय्या के कहने को उल्टा करते हुए विचार लिख देता हूं मेरा विचार व्यक्तिगत भी नहीं है। आईएएस अफसर बाबूलाल अग्रवाल के परिवार में पड़े आयकर के छापे के बाद यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है कि अमीर धरती गरीब लोग यह सिर्फ शीर्षक ही नहीं वास्तव में यह छत्तीसगढ़ का चेहेरा है। आयकर विभाग ने भले ही रातो रात यह स्पष्ट कर दिया है कि छापा किसी अफसर के बंगले में नहीं बल्कि अफसर के परिवार के व्यापरिक प्रतिष्ठानो में हो रहे आयकर की चोरी के कारण पड़ा है। लेकिन छापा गरीब धरती के उन अमीरो के यहां पड़ा है। जिनके परिवार का एक सदस्य छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक अमले में एक महत्वपूर्ण पद पर काबि
हथियार लाओ पैसे ले जाओ
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रायपुर। नक्सल प्रभावित बस्तर में चल रहे आपरेशन ग्रीन हंट से नक्सलियों में बौखलाहट पैदा गया है। पुलिस ने इसका फायदा उठाते हुए सरेंडर पैंकेज का फार्मूला नक्सलियों के सामने रख दिया है। इससे बहुत जल्द ही बड़ी संख्या में नक्सलियों के आत्मसर्मपण करने की संभावना है। हथियार के साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बीस हजार रुपए से लेकर तीन लाख तक की राशि दी जाएगी। नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने लुभावाने पैकेज बनाए थे। 2005 में 1378 नक्सलियों ने आत्मसर्मपण किया था। पिछले साल 2008-09 में 13 नक्सलियों ने आत्मसर्मपण किया है, लेकिन नक्सली फौज में शामिल ग्रामीण भयवश इस पैकेज को नकारते रहे हैं। आत्मसर्मपण करने वालों को नक्सली अपनी हिट लिस्ट में रखते हैं। इसके कई उदाहरण हैं। पिछले नौ सालों में नक्सलियों द्वारा मारे जाने वाले ग्रामीणों में लगभग सौ ऐसे सदस्य भी शामिल हैं। उन्होंने नक्सलियों का साथ छोड़ा था। सूत्रों के मुताबिक बस्तर के नक्सली कमांडर केन्द्री य अर्धसैनिक बलों के पहुंचते ही वहां से निकल चुके हैं। स्थानीय नक्सली लड़ाके मोर्चा संभाले हुए हैं। नक्सली कमांडर
नक्सली आतंक से गरियाबंद, मैनपुर बंद
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जिले के देवभोग से लेकर गरियाबंद तक के इलाके में नक्सलियों ने अपना झंडा लहराते हुए 28 दिसंबर को बंद का ऐलान किया था। इसका असर इलाके के छोटे मोटे बाजारों में स्पष्ट दिखा। मुख्यालय से भेजे गए फोर्स की मौजूदगी का स्थानीय व्यापारियों में जरा भी असर नहीं दिखा, बल्कि नक्सली दहशत में स्वस्फूर्त बंद रहा। नक्सलियों के फरमान को देखते हुए राजधानी से छूटने वाली गरियाबंद, देवभोग जाने वाली बसों के पहिए जहां थम गए थे, वहीं इस सड़क में पूरी तरह वीरानी छाई रही। डीजीपी विश्वरंजन ने गरियाबंद, मैनपुर इलाके में फोर्स भेजे जाने का जहां हवाला दिया था, वहीं नक्सलियों के पर्चे और पोस्टर मैनपुर में उनके दुस्साहस की गाथा कहने से बाज नहीं आ रही थी। मैनपुर में नक्सलियों ने अपनी ताकत दिखाई है। भूतेश्वरनाथ मंदिर गरियाबंद से लगे एक दर्जन गांव वर्दीधारी नक्सलियों के चंगुल में हैं। कुछ गांवों में नक्सलियों की आमद को देखते हुए दहशतभरी चुप्पी छाई हुई है। सूत्रों के मुताबिक जूनाडीह, खुर्सीपार, काजनसरा, बेन्कुरा जैसे गांवों के आसपास जंगलों में नक्सलियों की हथियार बंद टुकड़ियों की झलक ग्रामीणों तक पहुंच रही है। नक्सली जहां भय
विकास और आपरेशन एक साथ : विश्वरंजन
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डीजीपी विश्वरंजन ने कहा कि इस वर्ष नक्सल प्रभावित राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में कम नक्सली वारदात हुई हैं। यह आंकड़े केन्द्रीय गृह विभाग के हैं। बस्तर संभाग में अब आपरेशन और विकास एक साथ चलेगा। एक इलाके को सुरक्षा घेरे में लेकर पूरी तरह विकास किया जाएगा। यह आपरेशन उस समय तक चलेगा जब तक बस्तर पूरी तरह विकासित न हो जाए। हम ऐसी कोई समस्या वहां रहने नहीं देंगे जिससे नक्सलवाद और ऐसी कोई आतंकवादी संगठन वहां पनपने लगे। डीजीपी विश्वरंजन ने पुलिस मुख्यालय में नववर्ष मिलन समारोह में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग और राजनांदगांव में एक साथ आपरेशन शुरू होने वाला है। आपरेशन ग्रीन हंट के तहत नक्सलियों के ट्रेनिंग कैंपों में हमला बोला जाएगा और अर्धसैनिक बलों की कंपनी तैनात कर उस इलाके में विकास कार्य शुरू कराए जाएंगे। यह काम तब तक चलेगा जब तक वह इलाका पूरी तरह विकसित नहीं हो जाता। उसके बाद नए इलाके में विकास कार्य शुरू करेंगे। इस कार्य के लिए केन्द्र से फोर्स मिल चुकी है। आगे और भी फोर्स मांगी गई है। इससे हम अपने आपरेशन को अधिक से अधिक नक्सल प्रभावित इलाके में चला पा
शहरी नक्सलियों को नहीं घेर पाई पुलिस
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राज्य में नक्सली समर्थकों को घेरने के लिए 2005 में राज्य विशेष जनसुरक्षा अधिनियम बनाया गया था। पुलिस इस कानून के तहत चंद समर्थकों को ही आरोपी बना पाई है। इस कानून के तहत नक्सली समर्थकों को घेर पाने में पुलिस 2009 में पूरी तरह असफल रही है। राज्य पुलिस के सालाना रिपोर्ट के अनुसार राज्य विशेष जनसुरक्षा कानून के तहत सिर्फ सात प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इसमें रायपुर, महासमुंद, धमतरी, कबीरधाम, बिलासपुर, रायगढ़, जांजगीर, कोरबा, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, बलरामपुर, सुरजपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर में एक भी प्रकरण दर्ज नहीं कर पाई है। वहीं दुर्ग में राज्य विशेष जन सुरक्षा कानून के तहत एक प्रकरण दर्ज किया गया है। राजनांदगांव में पांच प्रकरण दर्ज हुए हैं। कांकेर में एक प्रकरण दर्ज हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस सही ढंग से शहरी और ग्रामीण नक्सली नेटवर्क को घेरने का प्रयास करती तो धमतरी, रायपुर, दुर्ग भिलाई, महासमुंद व कबीरधाम में लगभग आधा दर्जन से अधिक प्रकरण दर्ज कर सकती थी। सूत्रों के मुताबिक खुफिया विभाग ने लगभग एक दर्जन ऐसे व्यक्तियों के विषय में जानकारी एकत्र की थी। इन्हें इस कानून
सलवा जुड़ुम कार्यकर्ताओं ने किया हमला
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रायपुर। नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख व प्रसिद्ध गांधीवादी नेता मेघा पाटकर ने कहा कि दंतेवाड़ा और पूरे बस्तर की स्थिति गंभीर है। सरकार और सलवा जूड़ूम कार्यकार्ताओं के इशारे पर गांधीवादी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमला कर उन्हें वापस जाने के लिए बाध्य किया गया। मेघा पाटकर ने फोन पर हरिभूमि को बताया कि उनकी मांग है कि वनवासी चेतना आश्रम के संस्थापक हिमांशु कुमार और उसके कार्यकर्ताओं को यहां काम करने की छूट मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वनवासी चेतना आश्रम के कार्यकर्ता कोपा कुंजाम से मिलने वह जेल गई थीं। जहां जेल के अधिकारियों ने कहा कि वह उन लोगों से नहीं मिलना चाहता है, लेकिन मुलाकात करने के लिए अड़े रहने पर उन्होंने बाद में एक पत्र दिखाया जिसे कोपा कुंजाम ने लिखा गया बताया गया है। जिसमें उसने नहीं मिलने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि यह पत्र कोपा कुंजाम का नहीं था। वह पत्र कोपा कुंंजाम ने लिखा भी है तो वह पूरी तरह पुलिस के दबाव में है। मेघा पाटकर ने कहा कि उनके साथ और भी मानवाधिकार कार्यकर्ता है। इनके साथ वह बस्तर की हालत जानने आई हैं। उन्होंने कहा हम बस्तर के खनिज, वनसंपत्ति का दोहन करन