आजादी के 64 साल बाद चली गांधीवादी आंधी ,,,,,,,, आजादी के 64 साल बाद चली गांधीवादी आंधी

आजादी के 64 साल बाद चली गांधीवादी आंधी आजादी के 64 साल बाद चली गांधीवादी आंधी आजादी के 64 साल बाद एक बार फिर गांधीवादी आंधी अन्ना के रूप में चली है। केन्द्र सरकार ने अपने दमन नीति के तहत अन्ना के खिलाफ भी बयानबाजी और घपले के आरोपो का पिटारा खोल दिया है। लेकिन जनता सरकारी लोकपाल बिल के खिलाफ अन्ना के समर्थन में खड़े हो गई है। देश के सभी राज्यों में आम जनता और समाजिक संगठनों को अन्ना के समर्थन में सड़क पर उतरते देखा जा सकता है। रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के साथ सरकारी हंथकंड़े और पुलिसिया आतंक को देखने के बाद भी वहीं जनता एक बार फिर सरकार के आतंक को ठेगा दिखाते हुए आजादी की दूसरी लड़ाई में शामिल है। हम कुछ देर के लिए मान भी ले कि अन्ना हजारे पर सरकार के द्वारा लगाए जा रहे आरोप सही भी है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं की देश में सरकारी लोकपाल बिल का विरोध भी न हो। अन्ना हजारे के जीवन शैली को देखते हुए उन पर आरोप लगाना भी न्याया संगत नहीं है। अगर केन्द्र सरकार को लगता है कि अन्ना ईमानदार नहीं है तो एकाद ईमानदार व्यकि्त का नाम बताए जिनके नेतृत्व में जनता सरकारी लोकपाल बिल और कालेधन को...