वर्ष 1989 झंडा चौक पंडरी न्यू शांति नगर रोड रायपुर में रहता हूं जब मैं 9 वी क्लास में था । कुछ बदमाश किस्म के लड़को से दोस्ती हो गई थी। उनका लोफऱ अंदाज बहुत भाने लगा था। माया नगर बंबई देखने की इच्छा बचपन से थी। वहीं शीर्डी साईबाब के दर्शन करने की तमन्ना भी थी पता चला की वह भी बबंई के पास है......घर से भागकर रात के रायपुर स्टेशन से गीतांजलि में बैठकर बबंई के लिए निकले.......................मिथुन चक्रवती और गोविंदा से मिलने की इच्छा थी....................लेकिन .........दोनो से मुंबई पहुंचकर मुलाकात तो नहीं हो पाई...........लेकिन हाजी मस्तान बंबई का डॉन को देखने जरूर चल पड़े। मैं जिस इलाके में रहता हूं वहां की आधी आबादी का बंबंई से संबंध है...............भले ही वह वहां के निम्नस्तरीय अपराधिक घटनाओं में लिप्त रहते हैं..........लेकिन बंबई और मुंबई में पंडरी सिटी स्टेशन,पंडरी स्कूल,पंडरी बाजार ,झंडा चौक के नाम से जानने वालों की कमी नहीं है। यहीं कारण है की जब अविभाजीत मध्यप्रदेश के छत्तीसगढ़ में शिव सेना की स्थापना रायपुर में हुई तो पंडरी इलाके में शिव सेना का गठन क...