हीरा खदान से फोर्स हटा नक्सलियों की घुसपैठ हुई आसन
प्रदेश के बेशकीमती खनिज स्थल पायलीखंड हीरा खदान की सुरक्षा अब नक्सलियों के भरोसे है। यहां तैनात फोर्स को नक्सली हमले की आशंका में हटा दिया गया है। इंद्रावन नदी में उफान आने के कारण पायलीखंड इलाका पानी से चारों तरफ से घिर गया है, वहीं नक्सलियों ने किसी भी तरह से फोर्स को हटवाकर ग्रामीणों को कीमती खनिज के दोहन का भरपूर मौका दिया है। इससे ग्रामीणों के बीच नक्सलियों का जनाधार बढऩे के साथ ही कीमती खनिज पर अधिकार भी बढ़ गया है।उड़ीसा सीमा से लगे नक्सल प्रभावित गरियाबंद का पायलीखंड इलाका तेज बारिश और इंद्रावन नदी में आए उफान के कारण टापू के रूप में तब्दील हो चुका है। पिछले एक साल से आसपास के गांव में अपनी घुसपैठ बना चुके नक्सली बारिश का लाभ उठाकर यहां अपना कब्जा जमा सकते हैं। पायलीखंड के चारों तरफ पानी भर जाने पर यहां तैनात बीएसएफ के १८ जवानों ने मदद मांगी थी। पुलिस प्रशासन पानी से घिरे पायलीखंड में मदद करने की स्थिति में नहीं था। इस कारण पिछले सप्ताह उन्हें वहां से हट जाने का आदेश दिया गया था। गरियाबंद नक्सल आपरेशन एसपी सैय्यद आरिफ हुसैन ने स्वीकारा कि नक्सली हमले की आशंका में फोर्स को हटा लिया गया है, वहीं जवानों के हटते ही आसपास के गांव से ग्रामीण हजारों की संख्या में इन इलाकों में पानी में बहकर मिलने वाले कीमती खनिज (कच्चे हीरे) की तलाश में पहुंच चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक बारिश का महीना आते ही मुंबई, गुजरात व राजस्थान के हीरा तस्कर यहां सक्रिय हो जाते हैं। इस बार नक्सली दहशत में वे पायलीखंड से दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन गरियाबंद और उड़ीसा बार्डर में उनकी सक्रियता देखी गई है।बाक्सनक्सलियों का सपनाबस्तर के बाद नक्सली गरियाबंद इलाके के कीमती खनिज खदानों पर कब्जा करने का सपना देखते थे। पिछले एक दशक से प्रयासरत नक्सलियों ने २००७ में यहां अपनी मौजूदगी का अहसास करा दिया, जब पहली बार मैनपुर में नक्सली कमांडर गोपन्ना उर्फ गजाला उर्फ सत्यम रेड्डी ग्रामीणों की बैठक लेते हुए पकड़ा गया था। इसके बाद पायलीखंड पर नक्सलियों की घुसपैठ को देखते हुए तत्कालीन जिलाधीश सोनमणि बोरा ने यहां सुरक्षा कड़ी करते हुए बीएसएफ के जवानों को तैनात करवाया था। २००८ में पूर्व सरपंच की हत्या कर नक्सलियों ने उसे पुलिस का मुखबिर घोषित किया था। इस घटना के बाद २००९ में धमतरी के नगरी सिहावा में विस्फोट के बाद सौ से ज्यादा नक्सलियों को इस इलाके में घूमते देखा गया था।वर्सनपायलीखंड के आसपास इंद्रावन नदी का पानी भर गया था। इस कारण वहां तैनात जवानों को बाहर से मदद नहीं भेजी जा सकती थी। इससे नक्सली हमले की संभावना बढ़ गई थी। पानी उतरते ही पायलीखंड में अतिरिक्त फोर्स भेजकर जवानों को तैनात किया जाएगा। हीरे की तस्करी रोकने के लिए पुलिस ने गरियाबंद से बाहर निकलने वाली सीमा में जांच पड़ताल शुरू कर दी है।-एनके असवाल, प्रमुख सचिव गृह
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