अमृतसर भैरोनाथ मन्दिर में सिंध से आई नाथ पंथ की गद्दी है,


कटड़ाखजाना चौक स्थित योगी महासभा नाथ संप्रदाय का श्री भैरों नाथ मंदिर 700 साल पुराना है। इस गद्दी के पूर्वज पीर बाबा ठाकुर नाथ जी मंडी शिकारपुर सिंध प्रांत पाकिस्तान से थे। उनके शिष्य बाबा ब्रह्म नाथ जी थे। भारत-पाक बंटवारे के दौरान भारत आते समय उन्होंने रास्ते में ही अपना चोला त्याग दिया।

उसके बाद शिष्य बाबा रघुनाथ को यहां गद्दी का कार्यभार सौंपा गया। उन्होंने योगी इतवार नाथ जी को दस साल की आयु में अपना शिष्य बनाया और उनका पालन पोषण किया। उन्हें शिक्षा दीक्षा आदि दिलाई।

साल 1972 में योगी रघुनाथ जी ब्रह्मलीन हो गए और नाथ संप्रदाय ने बाबा इतवार नाथ को गद्दी पर विराजमान किया गया। उसके बाद बाबा ने इस मंदिर में शिवालय, श्री हनुमान, श्री राधा-कृष्ण, श्री लक्ष्मी नारायण, दुर्गा माता मंदिर, संतोषी माता मंदिर, गोरख नाथ मंदिर, भैरों नाथ मंदिर, राम दरबार समेत कई मूर्तियां सुशोभित करवाई। हालांकि बाबा इतवार नाथ चोला छोड़ चुके हैं।

मंदिरका प्राचीन इतिहास

मंदिरके मौजूदा गद्दी नशीन योगी ईश्वर नाथ के अनुसार इस मंदिर में श्री गोरख नाथ संप्रदाय के योगी श्री गंगा नाथ जी तपस्या करते थे। उस समय पंजाब में महाराजा रणजीत सिंह का शासन काल था।

महाराजा रणजीत सिंह के सपुत्र युवराज दलीप सिंह बीमार हो गए। जब वैद्य और हकीम उसे ठीक नहीं कर सके तो किसी के कहने पर महाराजा रणजीत सिंह योगी गंगा नाथ जी की शरण में आए और सारा हाल बताया। योगी नाथ ने अपनी सिद्धि से इस कुएं में हाथ डाला और हरे लौंग का गुच्छा निकाल कर महाराजा को देते हुए बेटे को सेवन करवाने को कहा। लौंग खाने के बाद युवराज दलीप सिंह बिल्कुल ठीक हो गए। तभी से यह स्थान लौंगा वाली खुई के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इसके बाद इसी स्थान पर भैरों नाथ मंदिर का निर्माण हुआ। आज भी शहर में इस प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर की अपनी ही मान्यता है।

इस मंदिर में वैसे तो सभी त्योहार श्रद्धा से मनाए जाते हैं। परंतु सबसे ज्यादा श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है जिसमें छोटे बच्चों के बीच प्रतियोगिता भी करवाई जाती है। इसमें आस-पास के कई बच्चे भाग लेते हैं। वहीं श्राद्घ के पहले रविवार को जागरण करवाया जाता है।

कटड़ा खजाना चौक में स्थित योगी महासभा नाथ संप्रदाय का श्री भैरों नाथ मंदिर (मध्य)मंदिरमें स्थापित शिवालय में पूजा-अर्चना करता श्रद्धालु। (दाएं)मंदिरके अंदर सुशोभित योगी इतवार नाथ जी की मूर्ति।

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