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Showing posts from February, 2010

खान बंधु फिल्मे बनाने से काम नहीं चलेगा

सैफ अली खान की फिल्म कुर्बान और शाहरूख खान की फिल्म माइ नेम इज खान दोनो ही फिल्मों में मुस्लिम समाज केप्रति विदेशो में पैदा हुए नफरत को बताया गया है। दोनो ही फिल्में तरीफ कबिल है। शाहरूख खान और सैफ अली खान की एक्टिंग दिल को छु लेने वाली है। लेकिन माइ नेम इज खान में शाहरूख खान उर्फ रिजवान खान ने पूरी फिल्म में बड़े ही मार्मिक रोल के साथ कहा है कि माइ नेम इज खान आई एम नाट टेरिरिस्ट मै नहीं हूं आतंकवादी हर खान आतंकवादी नहीं पर आतंकवादी खान है इस बात को हम तभी नकार सकते है जब गलतियो में फतवा जारी करने वाला इस्लाम आतंकवादियों के खिलाफ उनके जेहाद नामक आतंकी आंदोलन के खिलाफ फतवा जारी करने का समय आता है तो चुप बैठ जाता है। ओसम बिन लादेन को खलनायक मानने के बजाए उसे नायक समझा जा रहा है। मुस्लिम समाज खुलकर तलिबान के खिलाफ नारे लगाने से कतराता है। हालांकि मुस्लिमो की राष्ट्रभक्ति पर जरा भी संदेह नहीं किया जा सकता है। लेकिन भारतीय सिनेमा के मुस्लिम कलाकार शाहरूख खान और सैफ अली खान ने अपने दोनो ही फिल्म मेें अमेरिका में हुए आतंकी हमले के बाद आम मुस्लिमो के खिलाफ फैली नफरत को अपने अभिनय के माध्यम से

खाओ भारत का ,गाओ पाकिस्तान का

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वादेमातरम। 13 फरवरी की शाम पुणे में हुए बम धमाको से केन्द्र सरकार और स्वंय को बुद्धिजीवी कहने और खेल भावना वाले शहरुख खान समर्थक जान ले कि पाकिस्तान जैसे आतंकवादी देश के साथ हमदर्दी दिखाने का क्या खम्यिाजा भुगतना पड़ता है। भारत तभी तक धर्मनिरपेक्ष है जब तक यहां हिन्दू बहुसंख्यक है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अपने गीता सार में लिखा था कि दुष्ट व्यक्ति के साथ दुष्टता से ही निपटा जा सकता है। सज्जनता वहां काम नहीं आती। लेकिन शाहरुख खान और उन जैसे खेल भावना वालो को कौन समझाए। देश को आतंकवादी ताकतो के हाथ में सौपने वाले बुद्धिजीवियों से अब डर लगने लगा है। मराठी हदय सम्राट शिव सेना सुप्रीमो बाला सहाब ठाकरे का बयान जैसा भी रहा हो लेकिन शाहरुख खान का बयान भी तरीफ के काबिल नहीं है। खाता भारत की है गाता पाकिस्तान की है। खैर शाहरुख की जिद देश से बड़ी नहीं है। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीयो को भी नफरत दिखानी होगी। नहीं तो सज्जनता इस्लामिक आतंकवाद के सामने टिक नहीं पाएगी। बुद्धि जीवियों और खेल भावना वाले महापुरुषो की बात मानकर देश चले तो पाकिस्तान देश में आतंकवादी घटनाओ को श्रेय देता रहे और हम सिर्फ हिंद

भूमकाल दिवस,नक्सलियों के खिलाफ खुला मोर्चा

रायपुर बीस साल बाद बस्तर में भूमकाल दिवस पर आदिवासी ग्रामीणों ने नक्सलियों के शोषण और दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ने की घोषणा करते हुए हिंसक माओवादी विचारधारा के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। पिछले महीने स्कूली छात्रो की गला रेतकर की गई हत्या के बाद से ग्रामीणों में नक्सलियों के प्रति घृणा जाग गई है। इसका असर भूमकाल दिवस पर देखने को मिला। ब्रिटिश काल में आदिवासियों ने अंग्रेजी हूकूमत के खिलाफ बिगुल फूकते हुए लड़ाई छेड़ी थी। इस लड़ाई को भूमकाल नाम दिया गया। आजादी के बाद से लगातार 10 फरवरी को बस्तर में भूमकाल दिवस मनाया जाता है। जगदलपुर में मनाए जा रहे भूमकाल दिवस के मौके पर पहली बार आदिवासी समाज ने नक्सलियों के खिलाफ लोकतंत्रिक तरीके से लड़ाई जारी रखने की घोषणा करते हुए शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले शहीद गुंडाधूर,डेवरी धु्रव सहित आजादी की लड़ाई में शहीद हुए अन्य शहीदो को याद किया। इस मौके पर पुलिस विभाग द्वारा लगाए गए नक्सल विरोधी जनजागरण शिविर में आदिवासी जनता ने हिस्सा लिया और भारी संख्या में नक्सल विरोधी पर्चे और पोस्टर का कार्यक्रम स्थल में वितरण किया गया। इस मौके पर एसपी पी सुंदरराज भी ग्राम

अब सीबीआई करेगी बाबूलाल से पूछताछ

। रायपुर आयकर छापे के बाद कृषि सचिव बाबूलाल अग्रवाल और उनके पीए सुनील अग्रवाल द्वारा बयान बदला गया। आयकर अफसरो को जांच में मदद नहीं किए जाने और राष्ट्रीयकृत बैंक अफसरो के साथ मिली भगत कर किए गए करोड़ो रुपए के निवेश के मामले में आयकर विभाग ने यह प्रकरण बुधवार की शाम सीबीआई को सौप दिया। अब इस मामले में जांच का नेतृत्व सीबीआई करेगी। आयकर विभाग भोपाल के महानिदेशक (अन्वेषण) बृजेश गुप्ता ने बताया कि बुधवार को दिनभर बैक आंफ बड़ौदा में आयकर अफसरो द्वारा जांच पड़ताल की गई है। यहां के लाकर्स से 15 लाख रुपए नगद बरामद हुए है। यह लाकर्स पहले कृषि सचिव बाबूलाल अग्रवाल के नाम पर था। वर्तमान में इसे उनके भाई पवन अग्रवाल के नाम पर कर दिया गया है। आईएएस अफसर द्वारा किए गए कर चोरी के मामले में राष्ट्रीय कृत बैंक के अफसरो की भी मिली भगत का मामला सामने आ रहा है। इसे देखते हुए मामला सीबीआई को सौप दिया गया है। अब इस मामले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो,आयकर इन्वेस्टीगेशन सेल सहित सीबीआई जैसे देश की सर्वोच्च जांच एजेसीं भी जांच पड़ताल और आईएएस अफसर बाबूलाला अग्रवाल से पूछताछ करेगी। इस मामले में सीए सुनील अ

बाबूलाल ने ग्रामीणों को banaya karorpati

रायपुर आईएएस अफसर बाबूलाल से भी ज्यादा चालक उनका सीए निकला जिसने अपने गांव के ग्रामीणों को इंकमटैक्स फाइल बनाने के नाम पर औपचारिकता पूरी करवाई और उनके नाम से बैंक में फर्जी खाते खोलकर अफसर के ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में तब्दील कर दिया। आयकर अफसरो द्वारा फर्जी पासबुक की में दर्ज नाम के आधार पर खरोरा में शिविर लगाकर करोड़पति ग्रामीणों का साक्षत्कार लेना पड़ा तब जाकर खेत में काम कर रहे ग्रामीणों को पता चला कि वह करोड़पति हैं। उनके नाम से एक बड़ा उद्योग समूह चल रहा है। जिसमें वह ज्वाइंट डायरेक्टर हैं। कृषि सचिव बाबूलाल अग्रवाल के सात ठिकानो में छापेमार कार्रवाई करने वाले आयकर अफसरो को जब सीए सुनील अग्रवाल के निवास और दफ्तर से ढेरो ऐसे दस्तावेज और बैंक पासबुक मिले जिसमें से 40 करोड़ रुपए इधर से उधर हुए थे। इसके आधार पर आयकर अधिकारियों का एक तीस सदस्यी दल दो शुक्रवार से खरोरा में डेरा डाले हुए था। लगभग 28 बैंक खातो के आधार पर खरोरा में पुलिस और कोटवार के मदद से पुकार लगाई गई,तो इसमें से अधिकांश करोड़पति की हैसियत रखने वाले अग्रवाल एंड कंपनी के साझेदार ज्वाइंट डायरेक्टर खेतो में काम करते नजर आए। आय

छत्तीसगढ़ में बाबूलाल जैसे अफसर रहेगे तो नक्सलवाद तो पैदा होते रहेगा

छात्र राजनीति में पत्रकारिता में और कड़वा बोलने वाले रिश्ते से मेरे बड़े भाई लगने वाले अनिल पुसदकर की प्रेरणा से पहली बार अपने विचार ब्लाग में लिख रहा हूं ऐसे पिछले एक साल से में सिर्फ मै नक्सलवाद के खिलाफ समाचार ही लिख रहा हुं। पिछले दिनो अनिल भैय्या ने ब्लाग लिखने वालो से अपील की थी कि वह अपने विचार के साथ साथ अपने आसपास की घटनाओ का समाचार भी लिखे लेकिन यह मेरे ऊपर लागू नहीं होता था क्योकी मै तो पहले से ही समाचार लिखता था। लेकिन अब भैय्या के कहने को उल्टा करते हुए विचार लिख देता हूं मेरा विचार व्यक्तिगत भी नहीं है। आईएएस अफसर बाबूलाल अग्रवाल के परिवार में पड़े आयकर के छापे के बाद यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है कि अमीर धरती गरीब लोग यह सिर्फ शीर्षक ही नहीं वास्तव में यह छत्तीसगढ़ का चेहेरा है। आयकर विभाग ने भले ही रातो रात यह स्पष्ट कर दिया है कि छापा किसी अफसर के बंगले में नहीं बल्कि अफसर के परिवार के व्यापरिक प्रतिष्ठानो में हो रहे आयकर की चोरी के कारण पड़ा है। लेकिन छापा गरीब धरती के उन अमीरो के यहां पड़ा है। जिनके परिवार का एक सदस्य छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक अमले में एक महत्वपूर्ण पद पर काबि

हथियार लाओ पैसे ले जाओ

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रायपुर। नक्सल प्रभावित बस्तर में चल रहे आपरेशन ग्रीन हंट से नक्सलियों में बौखलाहट पैदा गया है। पुलिस ने इसका फायदा उठाते हुए सरेंडर पैंकेज का फार्मूला नक्सलियों के सामने रख दिया है। इससे बहुत जल्द ही बड़ी संख्या में नक्सलियों के आत्मसर्मपण करने की संभावना है। हथियार के साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बीस हजार रुपए से लेकर तीन लाख तक की राशि दी जाएगी। नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने लुभावाने पैकेज बनाए थे। 2005 में 1378 नक्सलियों ने आत्मसर्मपण किया था। पिछले साल 2008-09 में 13 नक्सलियों ने आत्मसर्मपण किया है, लेकिन नक्सली फौज में शामिल ग्रामीण भयवश इस पैकेज को नकारते रहे हैं। आत्मसर्मपण करने वालों को नक्सली अपनी हिट लिस्ट में रखते हैं। इसके कई उदाहरण हैं। पिछले नौ सालों में नक्सलियों द्वारा मारे जाने वाले ग्रामीणों में लगभग सौ ऐसे सदस्य भी शामिल हैं। उन्होंने नक्सलियों का साथ छोड़ा था। सूत्रों के मुताबिक बस्तर के नक्सली कमांडर केन्द्री य अर्धसैनिक बलों के पहुंचते ही वहां से निकल चुके हैं। स्थानीय नक्सली लड़ाके मोर्चा संभाले हुए हैं। नक्सली कमांडर