मुंबई आतंकी दहशत में नकाम सरकार और 2,500 से अधिक मौत





मुंबई (आईएमएनबी) पिछले एक दशक से अब तक कई गुना हमला किया गया है. अब तो मीडिया और राजनेताओं का कहानियों और बयानों को अच्छी तरह सेअभ्यास हो गया है. हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी 'नाम मात्र के लिए' प्ररंपरागत दौरा किया, मगर किसी ने भी
मनमोहन सिंह को याद नहीं दिलाया के उन्होंने मुंबई की शंघाई बनाने का वादा किया था. विस्फोट होते ही समाचार टीवी चैनलो में कई सारे प्रोग्राम आने लगते है. जहा दुनिया भरके पत्रकार और विशेषज्ञ विस्फोट कैसे हुआ, क्यों हुआ कौन दोषी ये बात पर चर्चा छेड़ देते हैं। किन्तु जहां पूरी सरकार ही भ्रष्ट है और नाकामयाब खुफिया तंत्र , कमजोर पुलिस बल के रहते भारत को आतंकवाद से कैसे छुटकारा मिलेगा.

मुंबई महानगर जिसे माया नगरी भी कहते हैं। इस सपनों के शहर में पिछले एक दशक से अब तक के विस्फोट में 2,500 से अधिक लोग मारे गए हैं.
1989 : एक टिफिन बॉक्स में पोटेशियम क्लोराइड और चीनी भरकर सेवरी रेलवे स्टेशन पर भेज दिया. जहां दो लोगो की मौते हो गई. हमलावरों ने विस्फोट करने के लिए ट्रिगर डिवाइस में सल्फ्यूरिक एसिड का इस्तेमाल किया था.
और दो विस्फोट मध्य रेलवे लाइन पर चलने वाली कुर्ला रेलवे और कन्जुर्मर्ग रेलवे स्टेशन पर किये गए. यहाँ भी पोटेशियम चोल्रिदे और सल्फ्यूरिक एसिड इस्तेमाल किया था.
1991: एक विस्फोट घाटकोपर बेस्ट बस स्थानक पर किया गया. जहा एक बस कंडक्टर सहित दो लोग विस्फोट में मारे गए थे.
दूसरा विस्फोट मध्य रेलवे लाइन पर चलने वाली लोकल ट्रेन में किया गया, जी में 4 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
1993: 12 मार्च, 257 लोग मारे गए और 700 खंबीर रूप से घायल थे. सबसे ज्यादा विस्पोट से हताहत इसी साल होगी थी.12 बम पुरे मुंबई शहर भर इस तरह लगादिये के वो एक के बाद एक तुरंत विस्पोट हो रहे थे. भारत सरकार, और इन्टेलीजेंस, मुंबई पुलिस बल के लिए अब तक की सब से बड़ी शरमशार करने वाली घटना. हैं। जहां आतंकवादियो ने अपने खूब मनसूबे कामयाब किये. यहाँ हमला बाबरी विध्वंस के प्रतिशोध में किया गया था ऐसा मना जाता है.
1997: कम तीव्रता बम दक्षिण मुंबई में जामा मस्जिद के पास लगाया गया, यहा 3 लोग घायल हो गए थे.
1998: मलाड में एक कच्चे बम विस्फोट में एक आदमी की मौत.
दूसरा विस्फोट पश्चिम रेलवे लाइन पर चलने वाली लोकल ट्रेन में हुआ जिस में 9 लोगो की मौत
हुई थी. इस विस्पोट में आर डिअक्स का इस्तेमाल किया गया था.
2002: 6 दिसम्बर, फिर एक बार घाटकोपर स्टेशन के पास एक बेस्ट बस में विस्फोट हुआ, जिसमें दो लोग
मारे गए और २८ घायल हुए थे. अयोध्या के बाबरी मस्जिद के विध्वंस की दसवीं सालगिरह पर हुई थी ये बमबारी.
दूसरा विस्पोट सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर एक मैकडॉनल्ड्स आउटलेट में, 25 से अधिक लोग घायल हो
गए हुवे थे. कम तीव्रता का गन पाउडर से बनाया गया था बम.
2003: 27 जनवरी, एक चक्र बम विले पार्ले में चलाया गया एक व्यक्ति की मौत हो गई और 27 लोग घायल हुए थे. यह हमला भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मुंबई यात्रा के दौरान एक दिन पहेले हुआ था.
13 मार्च, मुलुंड स्टेशन के निकट एक ट्रेन के डिब्बे में एक बम विस्फोट, 10 लोग मारे गए और 70 घायल हुवे थे. ये हमला 1993 के मुंबई बम विस्फोट की दसवीं सालगिरह के एक दिन बाद हुआ था.
28 जुलाई, घाटकोपर में तीसरी बार विस्फोट . बेस्ट की बस में एक बम 4 लोग मारा गया और 32 घायल हुवा था.
25 अगस्त, दो विस्फोट एक गेटवे ऑफ़ इंडिया में और दूसरा जवेरी बाज़ार. 50 लोगो की मरे गए और 145 घायल हुवे थे.
2006: 11 जुलाई, सात आय.ए.डि (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) पश्चिम रेलवे लाइन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे ट्रेन में लगा दिए गए. इस विस्फोट में 209 लोगों की मौत और 800 से अधिक घायल हो गए थे जिसमें में 22 विदेशी सैलानी भी थे. मुंबई पुलिस के अनुसार, बम विस्फोट लश्कर - ए - तैयबा और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी ) के छात्रों के द्वारा किए गए थे.
2008: 26 नवम्बर - 29 नवम्बर, तीन बड़े विस्पोट और लगाधर 3 दिन तक गोलीबारी, हैण्ड ग्रनैत की बमबारी से आतंकवादी हमला मुंबई में चल रहा था. 10 आतंकवादी के सहित 164 लोगो की मौत और ३०८ घायल. यह हमला दक्षिण मुंबई छत्रपति शिवाजी तेर्मिनुस, ओबेरॉय ट्रिडेंट, ताज महल पलके और तोवेर , लेओपोल्ड कैफे, काम हॉस्पिटल और नरीमन हाउस पर हवा था.
2011: 13 मार्च, तीन विस्फोट निशाने पर रहे ओपेरा हाउस , जावेरी बाजारी और दादर. कुछ ही मिनटों में एक के बाद एक विस्पोट, 21 लोगो मारे गए और 141 खंबीर घायल.

ये था अब तक का मुंबई आतंकी हम्लोका का कालक्रम. जैसे ही कोई आतंकी हमला होत है, सब से पहेले सत्ताधारी पार्टी अपना पला झाड़ते नज़र आती है। यहां तक के एक दुसरे के इस्तीफे की मांग करते है. भारतीय खुफिया तंत्र हमेशा खबरदार करती और भारत सरकार को सर्तक करते नज़र आई फिर भी कोई भी हमला रोका नहीं गया. सरकार और सरकार की सुरक्षा व्यवस्था इतनी भ्रष्ट होती नज़र आई है । कि अब भारतीय इन्टेलींजेस की रिर्पोट पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता.

एक त्वरित परीक्षण और पारदर्शक न्याय और न्याय वेवासथा की भारत को अत्यनत जरुरत है, यही सारे भारतीयों कई मांग है. भारत एक मजबूत राष्ट्र और एक निवारक के रूप में तभी कार्यरत होगा. कसाब, अफजल जैसे अनेक आतंकी पर करोड़ो खर्च किये जा रहे है , जो सामान्य इंसान के टैक्स से होत है. जिस तरीके से अपील और केस चल रहे है, आतंकवादी यो का बुधपा यही आराम से गुजरेगा और एक सामान्य मौत मिलेगी. एक समय था जब भारत पीओके रेक्लैमिंग के बारे में बात करते थे. अब नाममात्र के लिए भी सूना नहीं जता सरकार से. कश्मीर के मामलों में यूपीए सरकार राजनीतिक, भौगोलिक और नैतिक ऊपरी हाथ घटता नज़र अता है.

आज तक जितने बेगुनाह मारे गये और उन्हें बचते पुलिस और , सेना के जवान जो शहीद हुए है. उनको न्याय मिलना मुश्किल नज़र अता है. प्रधानमंत्री या सरकार से कोई उम्मीद नहीं रही. आज की राजनीति आम इंसान के हित के लिए नहीं रही , राजनेताओं के सीट हतियाने के लिए रह गई है. अगर कुछ हो पाया तो लोक पाल बिल और 2014 में मतदान की जरिये कबिल नेताओं को वोट देकर एक अच्छी सरकार की उम्मीद की जा सकती है।

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