सलवा जुड़ुम कार्यकर्ताओं ने किया हमला

रायपुर। नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख व प्रसिद्ध गांधीवादी नेता मेघा पाटकर ने कहा कि दंतेवाड़ा और पूरे बस्तर की स्थिति गंभीर है। सरकार और सलवा जूड़ूम कार्यकार्ताओं के इशारे पर गांधीवादी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमला कर उन्हें वापस जाने के लिए बाध्य किया गया। मेघा पाटकर ने फोन पर हरिभूमि को बताया कि उनकी मांग है कि वनवासी चेतना आश्रम के संस्थापक हिमांशु कुमार और उसके कार्यकर्ताओं को यहां काम करने की छूट मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वनवासी चेतना आश्रम के कार्यकर्ता कोपा कुंजाम से मिलने वह जेल गई थीं। जहां जेल के अधिकारियों ने कहा कि वह उन लोगों से नहीं मिलना चाहता है, लेकिन मुलाकात करने के लिए अड़े रहने पर उन्होंने बाद में एक पत्र दिखाया जिसे कोपा कुंजाम ने लिखा गया बताया गया है। जिसमें उसने नहीं मिलने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि यह पत्र कोपा कुंजाम का नहीं था। वह पत्र कोपा कुंंजाम ने लिखा भी है तो वह पूरी तरह पुलिस के दबाव में है। मेघा पाटकर ने कहा कि उनके साथ और भी मानवाधिकार कार्यकर्ता है। इनके साथ वह बस्तर की हालत जानने आई हैं। उन्होंने कहा हम बस्तर के खनिज, वनसंपत्ति का दोहन करने वालों में से नहीं है, लेकिन ग्रामीणों को भड़काए जाने के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिंदम्बरम ने कहा था कि वह बस्तर में जनसुनवाई करेंगे। यह कार्यक्रम वनवासी चेतना आश्रम का नहीं था। केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम द्वारा स्वंय से जारी किया गया बयान था। इसमें वह प्रभावित क्षेत्र में समस्या जानने के लिए जनसुनवाई कार्यक्रम में शामिल होना चाहती थी, लेकिन इस कार्यक्रम को राज्य सरकार ने होने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सलवा जूड़ूम शिविर में आदिवासी परिवार सुरक्षित नहीं है। हम यहां सभी प्रकार की हिंसा का विरोध कर रहे हैं। इससे सरकार को डरना नहीं चाहिए। फोर्स सीधे साधे ग्रामीणों को नक्सली बनाकर मार रही है या फिर गिरफ्तार कर रही है। इससे आदिवासी परिवार शिविरों में रहने के लिए मजबूर है।

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