भूमकाल दिवस,नक्सलियों के खिलाफ खुला मोर्चा

रायपुर बीस साल बाद बस्तर में भूमकाल दिवस पर आदिवासी ग्रामीणों ने नक्सलियों के शोषण और दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ने की घोषणा करते हुए हिंसक माओवादी विचारधारा के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। पिछले महीने स्कूली छात्रो की गला रेतकर की गई हत्या के बाद से ग्रामीणों में नक्सलियों के प्रति घृणा जाग गई है। इसका असर भूमकाल दिवस पर देखने को मिला। ब्रिटिश काल में आदिवासियों ने अंग्रेजी हूकूमत के खिलाफ बिगुल फूकते हुए लड़ाई छेड़ी थी। इस लड़ाई को भूमकाल नाम दिया गया। आजादी के बाद से लगातार 10 फरवरी को बस्तर में भूमकाल दिवस मनाया जाता है। जगदलपुर में मनाए जा रहे भूमकाल दिवस के मौके पर पहली बार आदिवासी समाज ने नक्सलियों के खिलाफ लोकतंत्रिक तरीके से लड़ाई जारी रखने की घोषणा करते हुए शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले शहीद गुंडाधूर,डेवरी धु्रव सहित आजादी की लड़ाई में शहीद हुए अन्य शहीदो को याद किया। इस मौके पर पुलिस विभाग द्वारा लगाए गए नक्सल विरोधी जनजागरण शिविर में आदिवासी जनता ने हिस्सा लिया और भारी संख्या में नक्सल विरोधी पर्चे और पोस्टर का कार्यक्रम स्थल में वितरण किया गया। इस मौके पर एसपी पी सुंदरराज भी ग्रामीणो ने आदिवासी समाज के जवान बच्चे और छात्र छात्राओं को नक्सली द्वारा अपने लड़ाई में शामिल किए जाने का विरोध करते हुए नक्सली शोषण के खिलाफ मोर्चा खोलने का आव्हान किया है। सूत्रों के मुताबिक अब तक भूमकाल दिवस के मौके पर नक्सली समर्थक नेता ग्रामीणों को दिग्भ्रमित करते हुए सरकार को शोषक बताती आई थी। खासतौर से नारायणपुर में पिछले महीने दो स्कूली बच्चो की गला रेतकर हत्या किए जाने के मामले में नक्सलियों की जमकर निंदा की गई है।

Comments

sarkari vigyapti ki tarah lag raha hai ye to boss
;)

ye to ab aap bataoge ki hai ya nai

;)

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