हथियार लाओ पैसे ले जाओ

रायपुर। नक्सल प्रभावित बस्तर में चल रहे आपरेशन ग्रीन हंट से नक्सलियों में बौखलाहट पैदा गया है। पुलिस ने इसका फायदा उठाते हुए सरेंडर पैंकेज का फार्मूला नक्सलियों के सामने रख दिया है। इससे बहुत जल्द ही बड़ी संख्या में नक्सलियों के आत्मसर्मपण करने की संभावना है। हथियार के साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को बीस हजार रुपए से लेकर तीन लाख तक की राशि दी जाएगी। नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने लुभावाने पैकेज बनाए थे। 2005 में 1378 नक्सलियों ने आत्मसर्मपण किया था। पिछले साल 2008-09 में 13 नक्सलियों ने आत्मसर्मपण किया है, लेकिन नक्सली फौज में शामिल ग्रामीण भयवश इस पैकेज को नकारते रहे हैं। आत्मसर्मपण करने वालों को नक्सली अपनी हिट लिस्ट में रखते हैं। इसके कई उदाहरण हैं। पिछले नौ सालों में नक्सलियों द्वारा मारे जाने वाले ग्रामीणों में लगभग सौ ऐसे सदस्य भी शामिल हैं। उन्होंने नक्सलियों का साथ छोड़ा था। सूत्रों के मुताबिक बस्तर के नक्सली कमांडर केन्द्री अर्धसैनिक बलों के पहुंचते ही वहां से निकल चुके हैं। स्थानीय नक्सली लड़ाके मोर्चा संभाले हुए हैं। नक्सली कमांडरों को यह उम्मीद है कि किसी तरह उनके समर्थक केन्द्र और राज्य पुलिस द्वारा चलाए जाने वाले ज्वाइंट आपरेशन को रोक पाने में सफल होंगे, लेकिन केन्द्र की मदद से तीन राज्यों में ज्वाइंट आपरेशन शुरू हो गया है, लिहाजा नामी नक्सली कमांडर भूमिगत हो चुके हैं। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक केन्द्रीय खुफिया विभाग के पास अब भी बहुत से नक्सली कमांडरों की तस्वीर नहीं है। जबकि आतंकी मामले में खुफिया विभाग के पास ईनामी आतंकियों के तस्वीर और स्केच मौजूद हैं। यही कारण है कि ईनामी नक्सलियों के पुलिसिया इश्तहार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चिपकाए तो जाते हैं, लेकिन ईनाम की रकम के साथ उनकी तस्वीर नहीं लगी होती है।

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सही नहीं है यह फैसला

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