जिस इंद्रेश कुमार को मैं जानता हूं !!

संजय द्विवेदी
कुछ साल पहले की ही तो बात है इंद्रेश कुमार से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मेरी मुलाकात हुयी थी। आरएसएस के उन दिनों वे राष्ट्रीय पदाधिकारी थे। एक अखबार का स्थानीय संपादक होने के नाते मैं उनका इंटरव्यू करने पहुंचा था। अपने बेहद निष्पाप चेहरे और सुंदर व्यक्तित्व से उन्होंने मुझे प्रभावित किया। बाद में मुझे पता चला कि वे मुसलमानों को आरएसएस से जोड़ने के काम में लगे हैं। रायपुर में भी उनके तमाम चाहने वाले अल्पसंख्यक वर्ग में भी मौजूद हैं। उनसे थोड़े ही समय के बाद आरएसएस की प्रतिनिधि सभा में रायपुर में फिर मुलाकात हुयी। वे मुझे पहचान गए। उनकी स्मरण शक्ति पर थोड़ा आश्चर्य भी हुआ कि वे सालों पहले हुयी मुलाकातों और मेरे जैसे साधारण आदमी को भी याद रखते हैं। उसी इंद्रेश कुमार का नाम अजमेर बम धमाकों में पढ़कर मुझे अजीब सा लग रहा है। मुझे याद है कि इंद्रेश जी जैसे लोग ऐसा नहीं कर सकते। किंतु देश की राजनीति को ऐसा लगता है और वे शायद इसके ही शिकार बने हैं।

मेरे मन में यह सवाल आज भी कौंध रहा है कि क्या यह आदमी सचमुच बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह प्रचारक हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करता है। वह मुसलमानों को राष्ट्रवाद की राह पर डालकर सदियों से उलझे रिश्तों को ठीक करने की बात कर रहा है। ऐसे आदमी को भला हिंदुस्तान की राजनीति कैसे बर्दाश्त कर सकती है। क्योंकि आज नहीं अगर दस साल बाद भी इंद्रेश कुमार अपने इरादों में सफल हो जाता है तो भारतीय राजनीति में जाति और धर्म की राजनीति करने वाले नेताओं की दुकान बंद हो जाएगी। इसलिए इस आदमी के कदम रोकना जरूरी है। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि एक ऐसा आदमी जो सदियों से जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिशें कर रहा है, उसे ही अजमेर के बम विस्फोट कांड का आरोपी बना दिया जाए।

अब उस इंद्रेश कुमार की भी सोचिए जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन में काम करते रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज का संगठन है। ऐसे संगठन में रहते हुए मुस्लिम समाज से संवाद बनाने की कोशिश क्या उनके अपने संगठन (आरएसएस) में भी तुरंत स्वीकार्य हो गयी होंगी। जाहिर तौर पर इंद्रेश कुमार की लड़ाई अपनों से भी रही होगी और बाहर खड़े राजनीतिक षडयंत्रकारियों से भी है। वे अपनों के बीच भी अपनी सफाई देते रहे हैं कि वे आखिर मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास क्यों कर रहे हैं , जबकि संघ का मूल काम हिंदू समाज का संगठन है। इंद्रेश कुमार की कोशिशें रंग लाने लगी थीं, यही सफलता शायद उनकी शत्रु बन गयी है। क्योंकि वे एक ऐसे काम को अंजाम देने जा रहे थे जिसकी जड़ें हिंदुस्तान के इतिहास में इतनी भयावह और रक्तरंजित हैं कि सदभाव की बात करनेवालों को उसकी सजा मिलती ही है। मुसलमानों के बीच कायम भयग्रंथि और कुठांओं को निकालकर उन्हें 1947 के बंटवारे को जख्मों से अलग करना भी आसान काम नहीं है। महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, मौलाना आजाद जैसे महानायकों की मौजूदगी के बावजूद हम देश का बंटवारा नहीं रोक पाए। उस आग में आज भी कश्मीर जैसे इलाके सुलग रहे हैं। तमाम हिंदुस्तान में हिंदू-मुस्लिम रिश्ते अविश्वास की आग में जल रहे हैं। ऐसे कठिन समय में इंद्रेश कुमार क्या इतिहास की धारा की मोड़ देना चाहते हैं और उन्हें यह तब क्यों लगना चाहिए कि यह काम इतना आसान है। यह सिर्फ संयोग ही है कि कुछ दिन पहले राहुल गांधी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सिमी के साथ खड़ा करते हैं। एक देशभक्त संगठन और आतंकियों की जमात में उन्हें अंतर नहीं आता। नासमझ राजनीति कैसे देश को तोड़ने और भय का व्यापार करती है, ताजा मामले इसका उदाहरण हैं। इससे यह साफ संकेत जाते हैं कि इसके पीछे केंद्र और राजस्थान सरकार के इरादे क्या हैं ? देश को पता है कि इंद्रेश कुमार, आरएसएस के ऐसे नेता हैं जो मुसलमानों और हिंदू समाज के बीच संवाद के सेतु बने हैं। वे लगातार मुसलमानों के बीच काम करते हुए देश की एकता को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। ऐसा व्यक्ति कैसे कांग्रेस की देशतोड़क राजनीति को बर्दाश्त हो सकता है। साजिश के तार यहीं हैं। क्योंकि इंद्रेश कुमार ऐसा काम कर रहे थे कि अगर उसके सही परिणाम आने शुरू हो जाते तो सेकुलर राजनीति के दिन इस देश से लद जाते। हिदू- मुस्लिम एकता का यह राष्ट्रवादी दूत इसीलिए सरकार की नजरों में एक संदिग्ध है।

राजस्थान पुलिस खुद कह रही है अभी इंद्रेश कुमार को अभियुक्त नहीं बनाया गया है। यह समय बताएगा कि छानबीन से पुलिस को क्या हासिल होता है। फिर पूरी जांच किए बिना इतनी जल्दी क्या थी।क्या बिहार के चुनाव जहां कांग्रेस मुसलमानों को एक संकेत देना चाहती थी, जिसकी शुरूआत राहुल गांधी आऱएसएस पर हमला करके पहले ही कर चुके थे। संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल पुलिस का इस्तेमाल करते रहे हैं किंतु राजनीतिक दल इस स्तर पर गिरकर एक राष्ट्रवादी व्यक्तित्व पर कलंक लगाने का काम करेंगें, यह देखना भी शर्मनाक है। इससे इतना तो साफ है कि कुछ ताकतें देश में ऐसी जरूर हैं जो हिंदू-मुस्लिम एकता की दुश्मन हैं। उनकी राजनीतिक रोटियां सिंकनी बंद न हों इसलिए दो समुदायों को लड़ाते रहने में ही इनकी मुक्ति है। शायद इसीलिए इंद्रेश कुमार निशाने पर हैं क्योंकि वे जो काम कर रहे हैं वह इस देश की विभाजनकारी और वोटबैंक की राजनीति के अनूकूल नहीं हैं। अगर इस मामले से इंद्रेश कुमार बच निकलते हैं तो आखिर राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार का क्या जवाब होगा। किंतु जिस तरह से हड़बड़ी दिखाते हुए इंद्रेश कुमार को आरोपित किया गया उससे एक गहरी साजिश की बू आती है। क्योंकि उनकी छवि मलिन करने का सीधा लाभ उन दलों को मिलना है जो मुसलमानों के वोट के सौदागर हैं। आतंकवाद के खिलाफ किसी भी कार्रवाई का देश स्वागत करता है किंतु आतंकवाद की आड़ में देशभक्त संगठनों और उनके नेताओं को फंसाने की किसी भी साजिश को देश महसूस करता है और समझता है। किसी भी राजनीतिक दल को ऐसी घटिया राजनीति से बाज आना चाहिए। किसी भी समाज के धर्मस्थल पर विस्फोट एक ऐसी घटना है जिसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है। किंतु क्या एक डायरी में फोन नंबरों का मिल जाना एक ऐसा सबूत है जिसके आधार किसी भी सम्मानित व्यक्ति को आरोपित किया जा सकता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि आखिर वे कौन से लोग हैं जो हिंदू-मुस्लिम समाज की दोस्ती में बाधक हैं। वे कौन से लोग हैं जिन्हें भय के व्यापार में आनंद आता है। अगर आज इंद्रेश कुमार जैसे लोगों का रास्ता रोका गया तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों में मुस्लिम मुद्दों पर संवाद बंद हो जाएगा। हिंदुस्तान के 20 करोड़ मुसलमानों को देश की मुख्यधारा में लाने की यह कोशिश अगर विफल होती है तो शायद फिर कोई इंद्रेश कुमार हमें ढूंढना मुश्किल होगा। इंद्रेश कुमार जैसे लोगों के इरादे पर शक करके हम वही काम कर रहे हैं जो मुहम्मद अली जिन्ना और उनकी मुस्लिम लीग ने किया था जिन्होंनें महात्मा गांधी को एक हिंदू धार्मिक संत और कांग्रेस को हिंदू पार्टी कहकर लांछित किया था। जो काम 1947 में मुस्लिम लीग ने किया, वही काम आज कांग्रेस की सरकारें कर रही हैं। राष्ट्र जीवन में ऐसे प्रसंगों की बहुत अहमियत नहीं है किंतु इंद्रेश कुमार की सफलता को उनके अपने लोग भी संदेह की नजर से देखते थे। वे सरकारें जो आतंकी ताकतों से समझौते के लिए उनकी मिजाजपुर्सी में लगी हैं, जो कश्मीर के गिलानी, मणिपुर के मुइया और अरूघंती राय जैसों के आगे बेबस हैं, वे इंद्रेश कुमार को लेकर इतनी उत्साहित क्यों हैं?

बावजूद इसके कि इंद्रेश कुमार एक गहरे संकट में हैं, पर इस संकट से वे बेदाग निकलेगें इसमें शक नहीं। उन पर उठते सवालों और संदेहों के बीच भी इस देश को यह कहने का साहस पालना ही होगा कि हमें एक नहीं हजारों इंद्रेश कुमार चाहिए जो एक हिंदू संगठन में काम करते हुए भी मुस्लिम समाज के बारे में सकारात्मक सोच रखते हों। आज इस षडयंत्र में क्या हम इंद्रेश कुमार का साथ छोड़ दें ? इस देश में तमाम लोग हत्यारे व हिंसक माओवादियों और कश्मीर के आतंकवादियों के समर्थन में लेखमालाएं लिख रहे हैं, व्याख्यान दे रहे हैं। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। क्या इंद्रेश कुमार जिनसे मैं मिला हूं, जिन्हें मैं जानता हूं, उन्हें इस समय मैं अकेला छोड़ दूं और यह कहूं कि कानून अपना काम करेगा। कानून काम कैसे करता है, यह जानते हुए भी। जिस कानून के हाथ अफजल गुरू को फांसी देने में कांप रहे हैं, वह कानून कितनी आसानी से हिंदू-मुस्लिम एकता के इस प्रतीक को अपनी फन से डस लेता है, उस कानून की फुर्ती और त्वरा देखकर मैं आश्चर्यचकित हूं। मैं भारत के एक आम नागरिक के नाते, हिंदू-मुस्लिम एकता के सूत्रधार इंद्रेश कुमार के साथ खड़ा हूं। आपको भी इस वक्त उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
October 26th, 2010 | Tags: इन्‍द्रेश कुमार | Category: जरूर पढ़ें, राजनीति | Print This Post Print This Post | Email This Post Email This Post | 301 views
26 Responses to “जिस इंद्रेश कुमार को मैं जानता हूं !!”

Pages: [3] 2 1 » Show All

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girish juyal Says:
October 28th, 2010 at 9:34 pm

इन्द्रेश जी ने सिर्फ मुस्लिम को ही नहीं दलित की आवाज़ को भी अभिव्यक्ति दी ,तिब्बत की मुक्ति , नेपाल को मऊवाद से बचाकर लोकतंत्र को इस्थापित करने मे भूमिका निभाई ,कश्मीर की आसली आवाज़ भारत व् विश्व सुनाई ,भारत मे सीमा पार से आने वाले विदेशी धन ,नशीली पधार्थ ,हथियार पर हिमालय परिवार इस्थापित किया जिनको इसकी हानि हो ररही हे वे केवल इन्द्रेश जी के ही नहीं देश के भी दुश्मन हे .गिरीश जुयाल
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Bikash K Sharma Says:
October 28th, 2010 at 7:29 pm

Bhai Pradeep ki Batton se lagta hai ki woh kisi khanche me bandhe hue hain or sirf wahi duniya ko dikhana chahte hai jo wo dekhte hain.lage raho bhai….

- Bikash K Sharma
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saurabh Says:
October 28th, 2010 at 2:29 pm

संजय सर आप की बात से में सहमत हू…और एक बात ये कहना चहुँगा की मैं भी जिस इन्द्रेश जी को जनता हू…वो ये तो नहीं ही हो सकते …जो वयेक्ति अपने पूरे लगन और निष्ठां क साथ गंगा जमुना सस्कृति को जोड़ने क लिए लगा हो वो ऐसा कार्य कर ही नहीं सकता…और दूसरी बात तो ये है की सघ के प्रचारक तो राष्ट्र को परंवैभव पर पहुचने का संकल्प ले कर निस्वार्थ भाव से सेवा करते है..वो एषा कर ही नहीं सकते…जहा तक मुझे लगता है ki इन दिनों कांग्रेस तमाम समस्याओ से घिरी पड़ी है…और लोगो के कोप का भागी बन रही है….इसी लिए वो लोगो का धयान बाटने के लिए इस तरह का काम भी कर रही है……जो निंदनीय है…….. सौरभ मिश्र

4.
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pawan singh Says:
October 28th, 2010 at 11:41 am

जिस इंसान ने अपनी जिंदगी के ४० साल देश और समाज के लिए लगा दिए हो उस वयक्ति के ऊपर इस प्रकार के आरोप से केवल राजनीति की बू ही आती है आज समाज को एक नहीं हजारो इन्द्रेश कुमारो की जरुरत है हम सब हर प्रकार से उनके साथ है भारत माँ की सेवा का प्रण जिन भी देशभक्तों ने लिया है उन को इन तकलीफों से तो गुजरना ही पड़ता है क्योकि :

“यू ही नहीं इस देश मैं, खुशियों के चमन खिलते है,
जरा आँख उठा कर देख ए विश्व, यहाँ दीप नहीं जीवन जलते है “
5.
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प्रभात कुमार रॉय Says:
October 28th, 2010 at 5:58 am

दरअसल यह सारा मामला और गहराई के साथ जांच पडताल चाहता है। किसी मुलजिम की डायरी में किसी शख्‍स का नाम लिखे होने से उसे उसके साथ कैसे फंसाया जा सकता है । इंद्रेश जी का सारा केस इसी बिंदु पर टिका हुआ है। हूकुमत आरएसएस के नेतृत्‍व को आतंकवादी करार देने पर आमादा हो रही है अत: वही सब बाकायदा किया जा रहा है। सीबीआई ने अपनी विश्‍वसनीयता खो दी है। सीबीआई केंद्र सरकार के इशारे पर नृत्‍य करने वाली वाली ऐजेंसी बन कर रह गई है। हवाला मामला इसका सबसे अहम उदाहरण है कि कैसे महज जैन डायरी के आधार पर निर्मित केस की धज्जियां कोर्ट में उड़ गई और सभी मुलजिम बाइज्‍जत बरी कर दिए गए।
6.
21
Pradeep arya Says:
October 28th, 2010 at 12:46 am

वी के शर्मा जी आर एस एस कब अपने कार्यकर्ता के आगे पीछे नहीं रहा.. मा. इन्द्रेश जी के पक्ष में पूर्व सर संघ चालक जी ने अपना वक्तव्य मीडिया में दिया हे और संघ एवं उसके कार्यकर्ता एसा घ्रणित कार्य कभी नहीं करते तो इसमें डरने की क्या बात हे कुछ आरोप हम पर लगा दिए तो समझो देशद्रोही दर अगये हैं बोखला गए हैं संघ कार्य से … संघ का कार्य ईश्वरीय कार्य हे..और संघ के कार्यों को समाज जनता है.. जब समाज में कोई विरोधी प्रतिक्रिया नहीं तो सम्माज के लोगों का संघ कार्य पर आज भी भरोसा है.. संघ के कार्य कर्ताओं के लिए तो इसे कंटक पथ अनेक मिले हें और मिलते रहेंगे..इसकी प्रमाविकता का कोई पर्याय नहीं है.. तो क्यों इसका स्पष्टि कारन देकर अपना समय व्यर्थ गंवाया जाये ..शर्मा जी आपकी सोच गलत ही नहीं आधूरी भी हे… संघ आज भी कार्यकर्ताओं के कार्यों और चरित्र पर टिका हे… आपकी सोच का क्या कारन हे कृपया बताने का कास्ट करें…
7.
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shishir chandra Says:
October 28th, 2010 at 12:30 am

दिवस दिनेश गौर जी समर्थन के लिए धन्यवाद. राष्ट्रवादी शक्तियों पर हमला कोई नई बात नहीं है. असल में इन आसुरी शक्तियों के पास अपार धन होता है और इनका पैसा ही बोलता है. ये सब चीजों को खरीद लेते हैं या जुगाड़ लेते हैं. हमें इनसे सावधान रहना होगा. यदि इन्द्रेश जी ने खूब पैसे बनाये होते तो शायद किसी की हिम्मत नहीं होती इन पर कीचड उछालने की. चाहे इन्होने कोई भी अपराध किया होता.
दूसरा दोष धारा के विपरीत बहना है. इन्द्रेश जी ने जो काम किया वो उनके कई दुश्मन पैदा करता है. इससे इन्द्रेश जी को ऐसी परेशानी होना ही था.
यदि इन्द्रेश जी सेकुलर खेमे में होते तो बड़े लीडर कहलाते और कोई भी उनका बाल भी बांका नहीं कर पता.
पैसों के बल पर आजकल वोट बैंक भी मंबूत होते हैं. इन्द्रेश जी इमानदार होने की वजह से फँस गए.
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rita jaiswal Says:
October 27th, 2010 at 9:13 pm

निस्वार्थ और निश्चल भावना के साथ भारत माँ के चरणों में अपना जीवन अर्पित करने वाले एक युग पुरुष का नाम है इन्द्रेश . हिमालय को भी शीत में कठोर थपेरो को झेलना पड़ता है पर इससे उसकी सुन्दरता और भी उभरती है .
इस बे बुनियाद और मन गढ़िथ आरोप के आधार पर सरकार देश को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. भारत की जनता मुर्ख नहीं है और मीडिया द्वारा दिखाई जा रही एक तरफ़ा कहानी पर कोई विश्वाश नहीं करेगा.
इन्द्रेश जी आप निडर और अडिग रह कर अपने सच्चाई के पथ पर बने रहिये क्यूंकि भारत के अगले चमकते सूरज आप ही है.
9.
18
Well wisher Says:
October 27th, 2010 at 9:05 pm

आम इंसान आज भी शांति पसंद है, और शांति चाहता है. हम एक बहुजातीय, बहुभाषीय, बहुधर्मीय देश भारत के नागरिक हैं, और यह हमरा धर्म है की अपनी एकता और अखंडता को शांति और प्रेम सन्देश से बचाएं.
10.
17
jai kumar jha Says:
October 27th, 2010 at 7:20 pm

अजित गुप्ता जी की टिपण्णी से सहमत हूँ…

Pages: [3] 2 1 » Show All
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लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि, भोपाल में जनसंचार विभाग के अध्यक्ष हैं। संपर्कः अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, प्रेस काम्पलेक्स, एमपी नगर, भोपाल (मप्र) मोबाइलः 098935-98888
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